AM Post-16 दर्शन
प्रिय आमिल
ब्लैसिंग
दर्शन
सद्गुरु यानि भगवान यानि परमात्मा सत्य, अहिंसा, प्रतिहिंसा, प्रेम, आनन्द, शांति, सेवा, नित्य, निराकार, अजन्मा, अविनाशी, सर्वशक्तिमान, सर्वत्र, सर्वज्ञ, सर्वप्रिय, एकेश्वर, निर्णायक, विश्वसनीय, समाधानदायक, परिणामदायक, दयालु, क्षमाशील, दाता, अनन्त, अनादि, अनुपम, अजर-अमर, निर्भय, निर्वेर, निर्विकार, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। उसे किसी ने अतीत में नहीं देखा था, किसी ने उसे वर्तमान में नहीं देखा है और कोई उसे भविष्य में नहीं देखेगा। किसी किसी ने भूतकाल में उसका एहसास किया था, कोई कोई उसका वर्त्तमान में एहसास कर रहा है और कोई कोई उसका भविष्यकाल में एहसास करेगा, परन्तु उसका दर्शन नहीं किया है, ना कर रहा है और ना ही करेगा। कोई कोई कुछ सेकंडों या कुछ मिनटों या कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए उसका एहसास कर सकता है पर दर्शन नहीं । किसी किसी को अष्ट सिद्धियां, नव निधियां मिल जाती है अर्थात चमत्कार करने की शक्ति मिल जाती है। किसी किसी को स्वयं के सद्गुरु यानि भगवान यानि परमात्मा होने का एहसास होने लगता है। यही शत-प्रतिशत और सौ प्रतिशत सच है। यही संतुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर, पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण का फल है यानि उसका भाग्य है।
‘निमित्त’
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