AM-सायंकालीन मास्टर प्रेयर
अब शाम को हाथ मुंह धोने के बाद संध्या वक़्त यह सायंकालीन मास्टर प्रेयर करनी है।
नोट: प्राणायाम करते हुए ‘सद्गुरु ॐ’ का उच्चारण करने के बाद ‘सद्गुरु’ नाम के ग्यारह प्राणायाम करने है।
मेरे सद्गुरु परमात्मा
सचसँग
कालचक्र के वर्त्तमान काल के प्रस्तुत पल में मैं तुझसे जुड़कर मन को तुझमें केन्द्रित करते हुए, श्वास भरते हुए तेरा और तेरे स्वरूप का ध्यान करते हुए तेरे दिए नाम ‘सद्गुरु’ का धैर्य, आनन्द और ध्यानपूर्वक स्मरण करता हूँ। एक पल रुककर तुझसे जुड़कर रहते हुए मन को तुझमें केन्द्रित रखते हुए, फिर श्वास छोड़ते हुए तेरा और तेरे स्वरूप का ध्यान करते हुए तेरे दिए नाम ‘सद्गुरु’ का धैर्य, आनन्द और ध्यानपूर्वक स्मरण करता हूँ। इस प्रक्रिया को ग्यारह बार दोहराता हूँ। इस तरह प्राणायाम के साथ साथ धैर्य, आनन्द और ध्यानपूर्वक तेरे नाम ‘सद्गुरु’ का स्मरण करते हुए श्वाँस-प्रश्वाँस के ग्यारह मनकों की एक माला करता हूँ। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।
ताकि मैं मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के लक्ष्यों को जैसे सन्तुलित नजरिया, खुशी, स्वास्थ्य, शक्ति, धनाढ्यता, सफलता, स्वस्थ तीन अंकायु, हिम्मत-उम्मीद, फ़ायदा, जिज्ञासा, समझ-बुद्धि, विद्द्या-हुनर, ज्ञान-अनुभव, विवेक-प्रज्ञा, समय-प्रबंधन, वर्त्तमान-कालिक, जागरूकता, कर्त्तव्यनिष्ठ, अधिकारपरस्त, तर्कशीलता, विज्ञानशीलता, सोच-विचार, सन्तुलित पूर्वाग्रह, पारखी, क्रॉस वेरिफिकेशन, कसौटी, जाँचपरख विश्वास, सटीक निर्णय, संकल्प, अमल, वचन, टोन, आदतें, स्वभाव, चरित्र, सन्तुलित संस्कार, जिजीविषा, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, सहनशक्ति, अनुशासन, शिष्टाचार, रोज़गार, परिस्तिथियाँ, आमदनी, स्वयं-केन्द्रित, यथार्थता, व्यावहारिक, पेशेवर, व्यापारिक, गुणवत्ता, योजना, समीक्षा, बजट, प्रबंधन, राजनीति, कूटनीति, समझौता, दुनियाँदारी, संभावना, अवसर, अतिरिक्त, हैसियत-परस्त, सुसंगति, गुडविल, दूरदर्शिता, क्षमता, एकाग्रता, ऊर्जा, उत्साह, सम्पर्क, मार्केटिंग, रसूख, माइंडसैट, समय-निष्ठ, संघर्षशील, एक्टिव मूड़, क्रियाशील, रास्ता, राही, चाल, नित्य-प्रति, निरन्तरता, उद्देश्यप्राप्ति, आत्मनिर्भर, समाधान, फ़ॉलोअप, कार्यसिद्धि, करेंसी-सिद्धि, उपार्जकता, विकास, पौष्टिक आहार, तृप्ति, मनोरंजन, संतुष्टि, वाकिंग, एक्सरसाइज, परहेज, उपचार, राज़ी-खुशी, चिरयुवा, उपभोग, बचत, निवेश, दान, उच्च मनोबल, वातावरण, ऑउटपुट, सन्तुलित अहँकार, इंसानियत, विनम्रता, सन्तुलित भावना, समद्रष्टा, प्रेम, सेवा, सकूँन, शांति, आनन्द, प्रारब्ध परिवर्तन, जीवन पर्यन्त और बढ़िया वक़्त के लिए तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं सन्तुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करता हूँ।
फलस्वरूप मेरा आज का दिन मेरे बीते हुए कल के अच्छे दिन से बहुत बेहत्तर है और मेरा आने वाला कल मेरे आज के बहुत बेहत्तर दिन से बहुत ज्यादा बढ़िया होगा, यही मेरे सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण का परिणाम है यानि मेरी किस्मत है। मैं तो मेरी इस किस्मत से हर पल, हर हाल और हर हालात में सदा सर्वदा खुश एवं सन्तुष्ट रहते हुए कालचक्र के वर्त्तमान काल के प्रस्तुत पल में सकूं, शांति और आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करता रहता हूँ। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।
मेरा मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के इन लक्ष्यों को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करना ही मेरी जिन्दगी का उद्देश्य है और इस उद्देश्य को प्राप्त इन्सान ही मेरी जिन्दगी का रोल मॉडल है। मेरा जन्म मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के इस उद्देश्य को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करने के लिए ही हुआ है। मैं मेरी जिन्दगी के इस उद्देश्य को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करने के लिए ही इस दुनियाँ में आया हूँ और मैं मेरी जिन्दगी के इस उद्देश्य को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करके ही इस दुनियाँ से जाऊँगा।
इसलिए मैं तेरे रहमों-कर्म और दया-कृपा से मेरी जिन्दगी के इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नित्यप्रति यानि दिन प्रति दिन और रात प्रति रात तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं सन्तुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करता हूँ और जिन्दगी की आखिरी साँसों तक तेरे रहमों-कर्म और दया-कृपा से मेरी जिन्दगी के इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नित्यप्रति यानि दिन प्रति दिन और रात प्रति रात तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं सन्तुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करता रहूँगा। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।
मैं तेरे रहमों-कर्म और दया-कृपा से मेरी जिन्दगी के इस उद्देश्य को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करने के लिए सुख दुःख में यानि हर पल, हर हाल और हालात में शत-प्रतिशत स्टेमिना से सुबह और शाम दिन में दो बार इस प्रेयर को करता हूँ और जिन्दगी की आखिरी सांसों तक सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए प्राप्त करने के लिए सुख दुःख में यानि हर पल, हर हाल और हालात में शत-प्रतिशत स्टेमिना से सुबह और शाम दिन में दो बार इस प्रेयर को करता रहूँगा। प्रेयर करते वक़्त मेरा मन प्रेयर के शब्दों में केन्द्रित रहता है।
फलस्वरूप मेरे संस्कार, स्वभाव, आदतें, चरित्र, सोच, विचार-विमर्श, बातचीत, निर्णय, विश्वास, वचन, अमल, कोशिश, कर्म, व्यवहार, आचरण, उद्देश्य, रोल मॉडल और परिणाम प्राप्ति में निरन्तर सकारात्मक सुधार होता ही जा रहा है। फलस्वरूप मुझमें मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के गुणों में अधिकतम प्रतिशत में वृद्धि होती ही जा रही है एवं मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन में विघ्न रूपी दोषों में निरन्तर ह्रास होता ही जा रहा है। फलस्वरूप मैं मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के उद्देश्य को सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए सुगमतापूर्वक प्राप्त कर रहा हूँ और जिन्दगी की आखिरी सांसों तक सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए सुगमतापूर्वक प्राप्त करता रहूँगा।
इसलिए मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं सन्तुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करना तो मेरा कर्त्तव्य है और मेरे इस कर्त्तव्य का फल देना या ना देना तो तेरा अधिकार है। तेरे निर्णय यानि रज़ा में मेरी रज़ा है, तेरी रज़ा को मैं मेरी रज़ा मानकर हर पल, हर हाल और हालात में सदा सर्वदा खुश और सन्तुष्ट रहते हुए कालचक्र के वर्त्तमान काल के प्रस्तुत पल में सकूं, शांति और आनन्दपूर्वक रहता हूँ। इसके लिये मैं तेरा बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ, बहुत बहुत आभारी हूँ। फिर भी अपनी असफलता के कारणों की समीक्षा करके सफलता के लिए मैं दोबारा नये सिरे से तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करता रहता हूँ। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।
नोट: इसके बाद प्राणायाम करते हुए सद्गुरु ॐ का उच्चारण करने के बाद ‘सद्गुरु’ नाम के ग्यारह प्राणायाम करने है।
निमित्त
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